Fundamentals of Lal Kitab
ग्रहो का भाव (खाना) परिवर्तन :
लाल किताब के ज्योतिषीय विधान में कुंडली के अकारक व निर्बल भाव में स्थित किसी ग्रहो के सकारात्मक व मन चाहे फल की प्राप्ति हेतु भाव परिर्वतन की विधि का भी प्रावधान है जिसके द्वारा किसी भी गृह को किसी भी भाव में स्थापित करके शुभफल की प्राप्ति की जा सकती है .
किसी गृह को पहले भाव अर्थात लग्न स्थान में पहुंचाने हेतु उस गृह से सम्बंधित वास्तु को गले में धारण करना .
दूसरे भाव में किसी गृह को पहुंचाने हेतु उस गृह से सम्बंधित वास्तु को किसी धार्मिक स्थान पर रखना .
किसी गृह को तीसरे भाव में पहुंचाने हेतु उस गृह से सम्बंधित रत्न व धातु को हाथ या उंगुली में धारण करना .
किसी गृह को चैथे भाव में पहुंचाने हेतु उस गृह से सम्बंधित वास्तु को दरिया की बहती जल धरा में प्रवाहित करना .
किसी गृह को पांचवे भाव में पहुंचाने हेतु उस गृह से सम्बंधित वास्तु को पाठशाला में दान करना .
किसी गृह को छठे भाव में पहुऍचाने हेतु उस गृह से सम्बंधित वास्तु को कुऍं में डालना .
यदि किसी गृह को सातवें भाव में पहिनुचाना हो तो उस गृह से सम्बंधित वास्तु को जमीन की सतह के अंदर दबाना .
आठवें भाव में यदि किसी गृह को पहुएनचाना हो तो उस गृह से सम्बंधित वास्तु को शमशान की सतह में जाकर दबाना .
किसी गृह को नौवे भाव में पहुंचाना हो तो उस गृह से सम्बंधित वास्तु को धारण करना .
किसी गृह को दसवें भाव में पहुंचाने हेतु उस गृह से सम्बंधित कोइ खाने की वास्तु अपने पिता को खिलाना या किसी समीप के सरकारी कार्यालय की जमीन की सतह पर गाड़ देना .
ग्यारहवे भाव में कोइ भी गृह उच्च या नीच का नहीं होता . इस कारण इस स्थिति में किसी भी प्रकार के उपाय की आवश्यकता नहीं पड़ती .
किसी गृह को बारहवे भाव में पहुंचाने हेतु उस गृह से सम्बंधित वास्तु को घर की छत पर रखना .
कुंडली में यदि कोइ गृह प्रबल व बलवान हो तो उस गृह से सम्बंधित वास्तु को दान में देना लाल किताब में हानिकारक बताया गया है . ऐसा करने से ग्रहों के सकारात्मक प्रभावों को हानि पहुऍचटी है .
प्रबल व बलवान ग्रहों के हेतु निर्देश - कुंडली में यदि कोइ गृह प्रबल व बलवान हो तो उस गृह से सम्बंधित वास्तु को दान में देना लाल किताब में हानिकारक बताया गया है . ऐसा करने se ग्रहो के सकारात्मक प्रभावों को हानि पहुऍचटी है . उदाहरणार्थ - यदि कुंडली में सूर्य बलवान हो तो इस गृह से सम्बंधित वास्तु गुड़ , गेहू , लाल वस्त्र , ताम्बा सोना माणिक्य रत्न का दान करना वर्जित कहा गया है .
गृह - दोषों का उपाय : कुंडली व गए ?रचार में किसी भी गृह की अनिष्टता के कारण उत्पन्न समस्या व उसके निवारण हेतु लाल किताब में अनेको उपायों का उल्लेख है . प्रत्येक उपाय को काम से काम 7 दिन व अधिक से अधिक 43 दिनों तक लगातार करने का निर्देश है . यदि प्रक्रिया का क्रम बीच में खंडित हो जाए तो पुनः विधिवत इन प्रयोगो को फिर से पूर्ण करना चाहिए . सभी नौ ग्रहो की शान्ति के हेतु सूखे नारियल के अंदर घी व खांड भरकर सुनसान जगह में स्थित चीटियों के बिल के अंदर गाड़ने के प्रयोग को सर्वोत्तम उपाय की संज्ञा दी गयी है . इस के अतिरिक्त सभी नौ ग्रहो के दोषो के अलग अलग विधिवत उपायों के भी सूत्र बताए गए है .